ये बारिश और तुम
ये बारिश और तुम

जब बादल की घनघोर घटा छाती है
सच कहूं तो मेरी जान तू बहुत याद आती है
जब बारिश की बूंदे छम छम करके बरसती है
ओ मेरी जान तेरी कमी मुझे हर ओर दिखती है
तू चली गई मुझे यू तन्हा छोड़ के
अपने अभू से यू मुंह मोड़ के
तेरे यू चले जाने से मुझे तकलीफ बहुत होती है
सच कहता हु मेरी जान तेरे बिना सिर्फ ये राते ही सोती है
जब भी बारिश होती है, तेरा सपर्श उन बूंदों में महसूस करता हु
आंखे भरी होती है, और तेरे साथ बिताए हर लम्हे को याद करता हु
क्या उन बारिश की बूंदों में तू भी मुझे महसूस करती है
तेरे लिए कोई था पागल क्या तू भी ये सोचा करती है
मैं दीवाना तेरे नाम सुनते ही पिघल जाता हूं
कभी कभी आंखों में आंसु आ जाए तो रो भी जाता हूं
तू आज भी याद है मुझे, क्या तेरे दिल में आज भी मैं जिंदा हूं
यही सोचता हु
सच कहता हु मेरी जाना
जब बादल की घनघोर घटा छाती है
मेरे ख्यालों में सिर्फ तू ही आती है
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