तेरी याद में एक नगमा

तेरी याद

 आज इन तन्हा रातों में फिर याद आई हो तुम

इन आंखों को फिर से भिगोई हो तुम

पुरानी यादों को ताज़ा कर ना जाने कहा खो गई हो

मुझे तुमने बहुत तड़पाया जब से दूर गई हो


तुमसे मिलने को ये दिल बहुत बेकरार है

ना जाने इस मोहब्बत का क्या राज है

तुम्हारे बात करने का एक अलग ही अंदाज है

कभी कभी लगता है जैसे अभय कोई अनजान है


बात हो या न हो तुमसे

फिर भी ख्यालों में समाई हो

हर पल फिक्र रहती हैं तुम्हारी

कही कोई परेशानी न तुम पर आई हो


बंद आंखों में भी तुम्हारा चेहरा ही नज़र आता है

आंखे खोली की नहीं बस न जाने कहा खो जाता हैं

तेरे याद में ये दिल पल पल आहे भरता है

पता नही क्यों आज भी ये तुझसे डरता है


हर रात की तरह इस रात भी सपनो में आई हो

और फिर एक बार इन आंखों को भिगाई हो

सपनो में आ जाती हो तुम अपनो की तरह

फिर न जाने कहा खो जाती हो मन की तरंगों की तरह


बहुत याद आ रही हो तुम

लाख कोशिश कर चुका हूं

ना आसू रुकते हैं ना यादों में तुम


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