तू और तेरी याद

 तू और तेरी याद 


सुनो
जब भी तन्हा बैठा करता हूं
तेरा ही ख्वाब देखा करता हूं
तेरे साथ बिताए हर लम्हे को
उन कुछ मिनटों में फिर से जिया करता हूं

बोलो न
ऐसा क्या था इस मोहब्बत में
जो हर दफा तुम्हे ही सामने ला खड़ा कर देती है
तेरी वो मुस्कान, और वो तुम्हारी झील सी आंखे
क्यूं मुझे हर बार तेरी ओर खींचे ला देती है

बोलो न
क्या तुम्हे अब भी मुझसे मोहब्बत है
क्या मैं अब भी तुम्हारे ख्यालों में आता हूं
क्या तुम्हे भी मेरी कमी महसूस होती है
क्या मैं तुम्हें याद आता हूं

सुनो
मैं तुम्हें बहुत चाहता हूं
तुम मेरे लिए बहुत खास हो
मैं तुम्हें बेइंतहा मोहब्बत करता हूं
तुम मेरी हर एक स्वांस हो

सुनो न
जब भी किसी कपल को देखता हूं
मुझे वहा तुम और मैं नजर आते हैं
जब भी कोई चित्रहार देखता हूं
तुम्हारे एहसास मुझे हरदम सताते है

सुनो जान
बिन तुम्हारे सब कुछ अधूरा सा लगता है
तुम्हारी कमी का एहसास हमेशा होता है
कभी कभी तुम मुझे प्रत्यक्ष दिखती हो
लेकिन कुछ देर बाद सब भ्रम सा लगता है

बोलो ना प्रिय
क्या मेरा प्यार तुम्हे झूठा लगता है
क्या मैं तुम्हे खुश नही रख पाता था
प्रिय तुम मेरी आंखों की रोशनी हो
तुम मेरे दिल की धड़कन हो

सुनो
तुम बहुत याद आती हो
ना जाने क्यों मुझे सताती हो
लिखना जरूर अपना जवाब मुझे
करते रहते है दिन रात याद तुझे


- अभय दुबे


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