ककोलत का सफर

 एक कविता २०२० बैच के मस्ती और धमाल के ऊपर


ककोलत का सफर


चल रही थी बातें
हो रहा था मौज
इतने में ककोलत घूमने
चल पड़ी डीटी की फौज

हॉस्टल से निकलते ही 
शुरू हुई जो मस्ती
पहुंच गए सब फुलवारी शरीफ
पकड़ के ऑटो सस्ती

पैसेंजर ट्रेन पकड़ हमसब
पहुंच गए पटना जंक्शन
सरकार के संरक्षण में
हुवा बहुतों का निरीक्षण

बुद्धपूर्णिमा का वो सफर
जिसमे शिव जी ने गिराया कितनो पर कहर
मौज मस्ती करते हुए
गया जंक्शन पहुंचे हम अगले पहर

थोड़ा थकान भरा सफर रहा
और पहुंचे हम नवादा
ककोलत पहुंचने में सभी
थक कर होगए आधा आधा

जलप्रपात में हुई जो मस्ती
एन्जॉय और ऐस की थी वो बस्ती
सभी का चेहरा खिला हुआ था
मन प्रफुल्लित हो उठा था

अब निकल चले हम राजभवन की ओर
हस्ते गाते करते शोर
डीटी की फौज चली
डीटी की ओर

-अभय दुबे

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