सुहाना सफ़र

 सुहाना सफ़र 

आज सफ़र पर निकला हूँ मै

फिर उन्ही राहों से 

जहाँ मिले थे दो दिल 

साथ निभाने के वादे से 


पवन का एक  झोका ऐसा आया 

संघ तेरी यादों की सौगाते लाया  

मन मचल उठा उन झोकों से 

न जाने दिल में ये कैसी आकुलता ढाया


तेरी यादों का शहर भी 

बड़ा अजीब सा है 

तेरे छोटी छोटी शरारते 

याद आते ही मन प्रफुलित हो उठता है 


बस की वो सीट जहा अक्सर 

हम दोनों बैठा करते थे 

डाल हाथो में हाथ 

प्यार के गीत गुनगुनाया करते थे 


वो सारे लम्हे बड़े हसींन है 

तेरे ना होते हुए भी 

आज भी मेरे दिल में सिर्फ 

तेरी ही तस्वीर रंगीन है


यह मौसम का जादू भी 

आज अजीब छाया है 

ना जाने कुछ दिनों से क्यों 

मेरे दिल में तेरी यादो का साया है


आज फिर यादों की बरसात है आई 

बादलों ने भी ली अंगड़ाई 

इस मौसम को भी न रहा  गया 

रिमझिम बारिश में भी तू ही याद आई 


इस सफ़र में एक अलग ही एहसास है

हर पल तेरे यादों का घरौंदा साथ है 

चेहरे पर मुस्कान, दिल में यादें

और होठो पर सिर्फ एक ही नाम है 


जब बस गुज़री शक्तिपीठ के धाम से 

तू सदा खिलखिलाती रहे ये

इस मंगलकामना के लिए माँ ताराचंडी के 

चरणों में पैगाम है


आज का यह सुहाना सफ़र 

सिर्फ तेरी यादों के नाम है



- अभय दुबे 


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