स्कूल की दोस्ती
स्कूल की दोस्ती
सोचा कुछ तो लगा आज कागज़ पर उतार दूं,
उनकी महोब्बत को जज्बातों से सजा दूं।
या कहूं उन लम्हों के बारे में जहां मिलते ही खुशियां छा गई,
जैसे बादलों ने अपनी छांव में, दोस्तों से मुलाक़ात करा दी।
होने लगी बातें बीते जमाने की, स्कूल के दीवानों की मस्तानों की
हंसी खेल में याद किया वो वक्त भी हमने,
जब बातें होती थी एक दूसरे को सताने की
वह समय जब हम सब पहली बार मिले थे,
स्कूल के दिन वो बड़े हसीन थे।
ना थी किसी चीज की फिक्र,
बस हम सब हस्ते गाते रहते थे।।
वो टिफिन के समय हम सब का इकट्ठा होना,
टिफिन के समय तुम लोगो के क्लास में मेरा छुपा होना,
एक दूसरे का टिफिन खाना सब याद आता है,
आज मिले हम दोस्त तो एक यादों का झरोखा आता है।
स्कूल के मैदान में हमारा एक साथ बैठना,
मॉनिटर की न सुनना, और क्लास में धमाल करना।
टीचर के सामने ऐसा दिखाना हम सबसे शरीफ है,
पूरे क्लास में अपनी ही चलाना आज सब फिर याद आता है।।
बस की अलग ही मस्ती हुआ करती थी,
आने जाने वालो पर कभी कभी बिन मौसम बरसात हुआ करती थी।
हमने भी लुफ्त खूब उठाई,
त्योहार के दिनों की वो मस्ती याद आई।
बस का यह खेल भी अजीब था,
रंगों में लिपटा पूरा बस और शरीर था।
दीपावली के दिनों का भी क्या कहना था,
बम के धमाकों से हिलता स्कूल का कॉरिडोर था।
आज याद आ गए वो पुराने दिन,
मगर रिश्ता आज भी पुराना है।
रास्ते बदल गए हम यारों के,
लेकिन याराना वही मस्ताना है।।
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