खोए अक्स की तलाश
खोए अक्स की तलाश
अब खुद को ढूंढते हैं, अपने ही साये में,
पहले से कुछ अलग हैं, इस नए जमाने में।
जो थे कभी, वो अक्स धुंधला सा हो गया,
वक्त के साथ मैं भी कुछ यूं खो गया।
राहें बदल गईं हैं, मंज़िल भी नई है,
जो बीत गया, वो एक कहानी सी कही है।
अब हम वो नहीं, जो पहले कभी थे,
खुद को तराशने का हुनर, वक्त ने हमें यूं दिया।
अब हर मोड़ पर सवाल नए खड़े होते हैं,
जिनके जवाब में, हम खुद को फिर से पाते हैं।
पहली सी पहचान अब बस यादों में सिमटी है,
अब नए सफर की आहटों में जिंदगी ढलती है।
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