तेरी यादों का मौसम
तेरी यादों का मौसम
कभी बन जाती हैं सुकून मेरे दिल का,
कभी यूं पल-पल मुझे तड़पाती हैं।
तेरी बातें जब भी याद आती हैं,
मेरी मुस्कान के साथ आँखें बह जाती हैं।
तू दूर होकर भी मुझमें कहीं रहती है,
हर लम्हा तेरी ही तस्वीर खिंचती है।
तेरे बिना जिंदगी जैसे अधूरी किताब,
जिसके पन्नों पे बस तन्हाई लिखी है।
वो शामें, जब तेरा हाथ मेरे हाथों में था,
वो बातें, जो तेरी हँसी के साथ बरसी थीं।
वो ख्वाब, जो तेरे साथ बुनता था मैं,
अब बिखरे पड़े हैं, जैसे यादों में फंसे हो।
कभी तेरे जाने का इल्ज़ाम खुद पर रखता हूँ,
कभी किस्मत को दोष देकर चुप हो जाता हूँ।
तेरे लौट आने की उम्मीद नहीं है, फिर भी सोचता हूँ,
फिर खामोशियों की चादर ओढ़कर सो जाता हूँ।
तू थी तो बहारें भी खिलखिला उठती थीं,
अब वीराने हैं, जो चीखते से लगते हैं।
तू पास थी तो मैं मुकम्मल था खुद में,
अब साँसे भी अधूरी सी लगती हैं।
तेरी यादों का ये मौसम थमता नहीं है,
हर दिन, हर रात मुझे रुला जाता है।
मैं जिंदा हूँ तुझसे दूर होकर भी,
पर ये दिल तुझे हर लम्हा पास बुला जाता है।
तू छोड़ गई पर छोड़ न सकी मुझको,
तेरी यादें ही मेरा वजूद बनाए रखती हैं।
कभी सुकून, कभी बेचैन करती हैं ये बातें,
तू बसी है मुझमें, और मुझमें ही तू रहती है।
और फिर...फिर क्या
जुदा होके भी तू मुझमें कही बाकी है.....
बन के आंसु तू चली आती है....
😖😖😩😩😫😫
- अभय दुबे
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